राजधानी से जनता तक कोरबा

राजधानी से जनता तक कोरबा। एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र और जिला प्रशासन द्वारा खम्हरिया गांव में पुनर्वास के लिए की जा रही जबरन बेदखली पर किसानों ने कड़ा विरोध जताया है। किसानों का कहना है कि 1983 में भूमि अधिग्रहण के समय तय शर्तों के अनुसार 20 वर्षों के बाद अवशेष भूमि मूल खातेदारों को लौटाई जानी थी, लेकिन इसके विपरीत उन्हें जबरन हटाया जा रहा है।किसानों का आरोप है कि वर्तमान कार्यवाही न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि 1983 में पारित आदेश और अधिग्रहण शर्तों का भी उल्लंघन है। उनका कहना है कि अधिग्रहित भूमि का उपयोग कोयला खदान, सड़क, रेलवे लाइन और अन्य परियोजनाओं के लिए हुआ, लेकिन शेष भूमि पर आज भी वे खेती कर जीवन-यापन कर रहे हैं। किसानों ने यह भी बताया कि उन्हें न तो रोजगार के पर्याप्त अवसर मिले और न ही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। इसके अलावा, पुनर्वास के लिए अन्य गांवों को बसाने की प्रक्रिया को भी अनुचित बताया गया। किसानों ने मांग की है कि प्रशासन इस कार्यवाही पर रोक लगाए और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए बैठक आयोजित करे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती, वे विरोध जारी रखेंगे। प्रशासन से अपील है कि समस्या का समाधान जल्द निकाला जाए।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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