संवाददाता ईश्वर नौरंगे /राजधानी से जनता तक

रायपुर सतनामी समाज छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष कमल कुर्रे ने बताया अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले सांसद, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक स्व.रेशमलाल जांगड़े को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि समाज में कार्य करने का प्रेरणा इनके किए हुए कार्य से प्रभावित होकर आज कुछ भी युवा प्रकोष्ठ का टीम गठित कर रहे एक प्रयास है, आगे कहा जांगड़े जी सतनामी समाज के गौरव थे।जीवन और संघर्ष:रेशमलाल जांगड़े का जन्म 15 फरवरी 1925 को बिलाईगढ़ के परसाडीह गाँव में हुआ था। देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर, उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और जेल गए। उन्होंने नागपुर लॉ कॉलेज से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की और सतनामी समाज के पहले विधि स्नातक बने।हम सबके लिए हमेशा ही प्रेरणा श्रोत रहेंगे एवं अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम महिला सांसद, गुरुमाता ममतामयी मां मिनीमाता जी के सतलोक गमन दिवस पर सत सत नमन..वंदन..सतनाम..🙏🏳️
नाम – मीनाक्षी देवी (मिनीमाता)
जन्म स्थान – नवागांव, असम
जनता द्वारा प्रदान नाम – गुरुमाता
जन्म दिनाँक – 13 मार्च 1913
पिता – महंत बुधारीदास
माता – देवमती बाई
पति – गुरु अगमदास जी
कार्य क्षेत्र – सांसद, रजनीति एवं सेवा क्षेत्र
निधन – 11 अगस्त 1972
गुरुमाता मिनीमाता जी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
गुरुमाता मिनी माता जी का जन्म असम में 1913 को नवांगांव जिले के ग्राम जमुनामुख में हुआ इनका मूल नाम मीनाक्षी ओर माता का नाम मतीबाई था। अकाल की स्थिति में पलायन कर मिनीमाता के दादा जीविकोपार्जन के लिए छत्तीसगढ़ के मुंगेली ग्राम सगुना असम के चाय बागान दौलतपुर में विस्थापित हो गए।
गुरुमाता जी की सातवीं कक्षा तथा प्राइमरी तक स्कूल तक शिक्षा असम में ही हुई इसके बाद मैट्रिक तक की शिक्षा उन्होंने छत्तीसगढ़ से ग्रहण की। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला छत्तीसगढ़ी भाषा का बहुत ही अच्छा ज्ञान था। छत्तीसगढ़ से समाज के प्रति लोगों का हाल-चाल जानने के लिए समाज के धर्मगुरु असम के चाय बागान जाया करते थे ऐसे ही एक समय तत्कालीन गुरु अगमदास जी दौलतपुर पहुंचे जिनकी कोई भी संतान नहीं थी। और महंत ने उनसे पुनः विवाह करने का आग्रह किया था वही महंत बुधारी दास की कन्या मीनाक्षी का विवाह 1932 में गुरु अगमदास जी से हुआ और इस तरह से साधारण परिवार में जन्मी एक कन्या, गुरु पत्नी अर्थात माता पद को प्राप्त हुई इसके बाद माता जी गुरु के साथ छत्तीसगढ़ वापस आ गईं।
गुरुमाता मिनीमाता जी का राजनीतिक जीवन और सेवा कार्य
👉1952 उपचुनाव जीतकर में सर्वप्रथम महिला सांसद बनने का गर्व प्राप्त हुआ।
👉1955 को पुनः सांसद बनी।
👉1957 में संयुक्त संसदीय क्षेत्र रायपुर,बिलासपुर और दुर्ग से जीतकर सांसद बनी।
👉1962 में बलौदाबाजार क्षेत्र से 52 फीसदी ज्यादा मतों से जीतकर दिल्ली में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व की।
👉1967 में जांजगीर संसदीय क्षेत्र से पिछले बार से ज्यादा मत प्रतिशत के साथ जीतकर सांसद में अपना दमदार प्रतिनिधित्व का लोहा मनवाई।
गुरु अगमदास जी राष्ट्रीय कांग्रेस में पदाधिकारी थे माता जी उनके हर दौर में उनके साथ होती थी। गुरु अगमदास जी संविधान सभा के सदस्य भी थे। गुरु का निधन 1952 में हो गया तब माता जी संसद की सदस्य थीं। पंडित रविशंकर शुक्ल के रहते उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से मध्यावधि चुनाव के समय मिनीमाता जी रायपुर से सांसद चुनी गई पंडित जवाहरलाल नेहरू और बाबा साहब रहे, इस अवसर पर युवा प्रकोष्ठ रमेश जांगड़े , भुवनेश्वर बघेल, प्रदीप श्रृंगी,मनोहर, पाटले जी राकेश, नंदू जी विकाश, बिरसेन भतपहरी एवं सामाजिक साथीगण उपस्थित रहे

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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